Tuesday 22 February 2011

दिवानी आणि अंक

दिवानी आणि अंक 

फार्सी लिपीचे प्रकार

भारतात फार्सी दरबारी भाषा होती. राजनैतिक, न्यायालयीन कागदपत्रे, महसुली आज्ञापत्रे फार्सीत लिहिली जात. फार्सी लिहीताना ज्या लिप्यांचा वापर होई, त्या पैकी काहींचे नमुने असे आहेत.



 पत्राच्या शिरोभागी ‘ बिस्मिल्ला अलर्रहमान अलर्रहीम ’ लिहीत. ज्याला तोघ्रा म्हणत



भारतात पत्र लेखनासाठी वापरली जाणारी लिपी होती तालिक.




धर्म ग्रंथ लिहीण्यासाठी वापरली जाणारी ‘ नेस्ख’ 
पुस्तकलेखनात वापरली जाई.

संख्या -अंक

फारसी भाषेत जवळपास मराठी प्रमाणे अंक उच्चारले जातात
अंक       मराठी         फारसी  
१             एक             यक        ۱ 
२            दोन             दू            ۲ 
३            तीन             सिः         ۳ 
४            चार             चहार       ۴ 
५            पांच            पंज         ۵ 
६             सहा           शेष           ۶ 
७            सात           हफ्त         ۷ 
८             आठ           ह्श्त         ۸ 
९             नउ             नुः            ۹ 
१०           दहा             दह           ۱۰ 

११           अकरा         बाजदह        ۱۱ 
१२           बारा            दवाज दह
१३           तेरा            सीज दह 
१४          चौदा           चहार दह
१५          पंधरा          पंज दह
१६           सोळा           शांज दह
१७          सतरा           हफ दह
१८           अठरा          हज दह
१९           एकोणीस    नुज दह
२०          वीस             बिश्त 

२१           एक वीस       बिश्त व यक 
२२           बा वीस         बिस्त व दु 
|
३०           तीस            सी 
३१           एक तीस      सी व यक 
३२           ब त्तीस          सी व दु 
|
|
४०           चाळीस  चीहील 

Monday 21 February 2011

प्रश्न

कोण - के
काय - चे
कोठे - कोजा
कधी - केय
कोणता - कोदाम
कसा - चे तुर
का - चेरा
किती दूर - चेगादर दूर
किती जवळ - चेगादर नजदिक
किती - चेगादर




‘रा’ हा प्रत्यय ‘ला’ प्रमाणेच वापरतात.
कोणाला - केरा
का/ कशाला - चेरा


व्यक्ती साठी,
कोण - की
कोणता माणूस - कुदाम मरद


कोणता रस्ता - कुदाम राह




हर
whosoever जो कोणी - हरेक
whatsoever जी काही(वस्तू) - हरचीज
                                       हरचे
whichsoever जो कोणता - हर कोदाम
whensoever जेंव्हा कधी - हर वक्त
जिथे कुठे - हर कजा
            हर जा

दररोज - हररोज
दररात्री - हरशब
दोन्ही - हरदू
प्रत्येक - हर यक
प्रत्येक गोष्ट - हर चीज
प्रत्येक जण - हर कस
प्रत्येक ठिकाणी - हर जा
प्रत्येक रात्री - हर शब


कोणत्याहीप्रकारे - बहरहाल


सर्व ठीक आहे ना? - हमे चि दुरोस्त ए ?
काही अडचण नाही (नो प्रॉब्लेम) - मुश्केली निस्त









सर्वनाम

मी        मन                       आम्ही         मा         
तू          तो                         तुम्ही          शोमा
तो/ती          ओ                         ते         ऐशान
              वै   
ते              आन                        ती        आन्हा

  आंग्ल self प्रमाणे   खुद शब्द वापरला जातो.


             ।    प्रत्यय
माझा         अम                            
आपला       मान
तुझा          अत
तुमचा        तान
त्याचा        अश
त्यांचा        शन


म्हणजे बघा,
माझे घर - खाना आम
माझे पिता - पिदरम/ पिदर ए मन 
आपले पिता - पिदरेमा/ पिदर ए मान


माझे स्वत:चे पुस्तक - किताब ए खुदम
त्याचे स्वत:चे पुस्तक - किताब ए खुदीश


माझा मित्र - दोस्तम

विषेशणे

तरुण:       जवान                     
वृद्ध   :        पीर
आजारी:    बीमार
छान  :       खूब                       मर्द ए खूब    
वाईट:        बद



  • तर तम भाव

तर , तरीन या प्रत्ययांनी तर तम भावाचा बोध होतो.
जसे-
बेह              बेहतर         बेहतरीन

well            better         best


  • हिन्द अज इन्ग्लिश्तान गरमतर
  • भारत इंग्लंड हून अधिक उष्ण

  • शिरीन तरीन मीवाहा अन्गूर
  • सर्वात गोड फळ द्राक्ष

गीन, आगीन, वार, वर, मन्द, नाक, सार, इन, फ़ाम, गुवन या प्रत्ययांना जोडून विषेशण बनवले जाते.


गम - गमगीन - दु:खद
शर्म- शर्म आगीन- लज्जास्पद
शर्म- शर्म सार  - लाजलेला
औमीद - औमीद वार - आशावादी
दानश - दानश उर - ज्ञानी
खेरद - खेरद मन्द - शहाणा
जहर - जहर नाक- विषारी
खौफ़ - खौफ़ नाक - भीती दायक
सा, आसा, वश, आना, शान, वार या प्रत्ययांनी सारखेपणा दाखवतात
मर्द - मर्दाना - पुरुषा सारखे
सिहर - सिहर सा - जादू सारखा
झन - झनाना - स्त्रीयांसाठी योग्य

 काही वेळा द्वित्व ( दोन वेळा ) वापरून मध्ये अलेफ़ लिहीतात.
लब अ लब - लबालब - काठोकाठ
सर अ सर - सरासर - पूर्ण







अनेक वचन

सजीवांचे अनेक वचन ‘आन’ प्रत्यय जोडून होते.
पुरुष :       मर्द - मर्दान
स्त्री :         झन -झनान


निर्जीवांचे अनेक वचन ‘हा’ प्रत्यय जोडून होते.
फूल :       गुल - गुलरा  (जीवशास्त्रात फूल सजीव आहे इथे ‘ते’ फूल)

प्राण्यांत अनेक वचन ‘आन’ किंवा ‘हा’ प्रत्यय जोडून होते.
घोडा :      अस्ब- अस्बान अस्बहा

शेवटी अलिफ़ किंवा वाव असेल (आ /उ ने शेवट असेल) तर ‘यान’ ने अनेक वचन होते.
भिकारी :           गदा - गदायान
वाईटबोलणारा:  बदगू -  बदगुयान

शेवटी हे  असेल (हा शेवट असेल) तर ‘गान’ ने अनेक वचन होते
देवदूत :    फीरीश्ता(ह) - फीरीश्तागन
बाळ:         बच्चा(ह) - बच्चागन

काहीवेळा ‘आत’ / ‘खात’ने अनेक वचन होते,  पण ते अरबी भाषेच्या प्रभावाने.
उपकार : नवाजीश - नवाजिशात


इतर काही उदाहरणे

भाकरी (नान): नान                  नानहा
सूर्य                आफ़्ताब           आफ़्ताबहा




*जरी हे सर्व प्रकार प्रतिष्ठित भाषेत वापरले जात असले तरी नेहमीच्या भाषेत ‘हा’ प्रत्ययाने अनेक वचन दाखवता येते.        



नाम


  • लिंगविचार:
फार्सीत सर्व निर्जीव गोष्टी नपुंसकलिंगी असतात. सजीवांना लिंगाप्रमाणे वेगवेगळी नावे असतात, अथवा ‘मादा, नर’ हे लिंगदर्शक शब्द जोडले जातात. 

  1. पुरुष - मर्द          स्त्री - झन
  2. मुलगा - पिसर    मुलगी - दुख्तर


प्राण्यांच्या  नावांना ‘नर, मादा’ जोडून लिंग दर्शव
ले जाते.



  1. सिंह - शेर ए नर  सिंहीण - शेर ए मादा
  2. बैल - गाव ए नर  गाय - मादा गाव

काही प्राण्यांना लिंगा नुसार वेगवेगळी नावे आहेत. 

  1. मेंढा - गौच          मेंढी - मैष
  2. घोडा - नरयान     घोडी - मादेयान
  3. कोंबडा - खुरूस    कोंबडी - माकेयान

Sunday 20 February 2011

फार्सी शब्द महसूली

आबकारी - दारू वरचा कर
अबोआब (अब्वाब) - जमीनी वरील कर
अब्वाब फ़ौजदारी - शुजा खानाने बसवलेला कायम स्वरूपी कर
अब्वाब तनेबदारी - बाजारातल्या दुकानांवर आकारलेला कर
अदबक - छोटे माप/ वजन
अदालत - न्यायालय
अब्दाबंदी - कर्ज परतफेडीचा काळ
अबुक अब्वाब - मुर्शीदाबाद किल्ल्याच्या चुन्यासाठी अलिवर्दी खानाने लादलेला कर
 अजारब - शेत
अजारबदार - शेतकरी (सारा देणारा)


आखरी हिसाब खर्चा/
वसूल बाकी खर्चा -वर्ष आखेरीस रयतेच्या खात्याची केवळ शिल्लक
आखरी जमा वसूल बाकी
आखरी निकास -परगणा/ तरफ आणि गावकामगार, रयत यांचा तळेबंद


आबदार खाना - सरबत (बर्फात ठेवून) थंड करायची खोली


बासनी - बासरी
बाला घाट - वरचा घाट
पाईन घाट - खालचा घाट


बट्टा - रुपयाचा विनिमय दर


ब हाल - आजच्या प्रमाणे कायम करणे
बहाली सनद -(पूर्वी काढून घेतलेली) मालकी परत करणे


बजन्तरी महाल -वाजंत्री वाले आणि नर्तकांवरील कर


ब्रिन्जारा - ब्रिन्ज= तांदूळ,  आरा - आणणे (वंजारी) सैन्याला रसद पुरवणारा.


गज - लांबी मोजण्याचे माप
तीन प्रकारचे गज होते, लांब मध्यम आखूड, लांब गजाने जमीन मोजत. त्याचे २४ भाग करीत, प्रत्येकाला तसू म्हणत.  

ओळखीचे शब्द

भाऊ - बिरादर                      पाणी - आब 
बहीण - ख्वाहर                     पेय - शरबत 
पिता - पिदर                        आसव - शराब
माता - मादर                        दुध - शीर 
कन्या - दुख्तर                     दारू - मय 
संतान - फर्जंद                      द्राक्ष - अंगूर 
माळी - बागबान                   फळबाग - बाग 
                                          फुलबाग - बागच्या
खुर्ची - कुर्सी                        टेबल - मैज
                                          खेडे - दिह 
अक्कल - अकल                 शहर - शहर    
सेना - सिपाह                      सैनिक - सिपाही  
सेनापती - सिपह्सालार          
हवा - हवा                           वारा - बाद 
उजवा  - रास्त   
वर - बाला                              
अश्व - अस्ब                         बैल - गाव 
उंट - शुतूर                           गाढव - खर
बिबट्या - पलंग                   सिंह - शेर 
बर्फ - बरफ                               




इजारः  - भाडे,अंशदान (इसारा)
इजारःदार - शेतकरी


अज्यल - मृत्यूवेळ
अख्तर - नक्षत्र
अझ- पासून
इझार - पॅंट
आसामी - नावे , यादी
उस्तुरः - वस्तारा
आस्तीन - बाही
इस्तबल - तबेला
उश्तर -उंट
बानु - राजकन्या,
बावर्ची स्वयंपाकी बल्लव
बबर - सिंह
बाकी - शिल्लक
बद्फियाल - खोडकर
बराबर - एकसारखा
बास - पुरेसे
बस्तन - बांधणे
बस्तः - बांधलेला
बिर्यान -fried, 
बशीर - चांगली बातमी आणणारा.
बगल - काख
बकर - बैल/ गाय
बकाल (बक्काल) - वाणी
बले - होय
बारीक
बिन- पुत्र
बिन्त -कन्या
बंदर -port
बंदी - कैदी 
बंदन - घट्ट बांधणे
बेदर - जागणारा
पासंग- ठराविक वजनाची वस्तु वजन म्हणून वापरणे.
पा - पाय
पाबंद - घोड्याचे पुढचे पाय बांधायचा दोर
पापोश- स्लीपर
पालुदा - खीर फ़ालुदा
पाजामा पायजमा
पाजी -क्षुद्र माणूस, नीच
पाचक - वाळ्लेले शेण
पाय - पाय
परवानगी
परी
पुश्ती - पाठिंबा
पुश्तक - जाकीट
पिंजरा
प्यादा पदाति
पियाला -पेला
पेच स्क्रू
पिरान (कवठे पिरान मधील)- वृध्द, जुने [ दुसरा अर्थ पीराच्या दर्ग्याला दिलेले गाव]
पिर - वृद्ध, सोमवार
पेश्तर - आधी, लवकर,
तारीख
तहत च्या खाली
तहसील वसूल
तरकीब संयुगे
तराना
तिसा नऊ
तस्सु- बार्ली च्या चार दाण्या इतके वजन, अंतर
तलखी - कडवट पणा
तमाशा - दर्शकांना दाखवला जाणारा
तमाशगाह थिएटर
तंग

तमाम  सर्व 
जाजम सतरंजी 
जागीर पेन्शन 
जागीरदार पेन्शनर 
जिद्द प्रयत्न 
जानवर  जनावर 
जुघ(ग)- जू बैलाच्या मानेवरील 
जिगर काळीज 
जुलूस राज्याभिषेकाची मिरवणूक 
जमाबंदी जमिनीची मोजणी 
जुंद -(लष्करी ) झुंड 
जव- बार्ली 
जौहरी जवाहिरा
चाबूक 
चादर 
चाब्लूस स्तुतिपाठक 
चपाती 
चपकन कोट 
चाई चहा  
चतर छत्र
चखाचख -(तलवारीन्चा ) खणखणा
चरम  कातडे
चीक पडदा 
चकमक गारगोटी 
चिकन - भरतकाम कशिदा 
चमचा 
चोब- लाकूड 
चोब्दार चोपदार 
चिनी - पोर्सेलीनच्या वस्तू 
हबशी- निग्रो 
हजामत 
हिर्मान- हिरमोड 
हिस्सा 
हलुवा- हलवा


रोज- दिवस
दर - दरवाजा
दरगाः - प्रवेशद्वार
दोकान - दुकान
फ़र्श - गालीचा


गबाब - भाजलेला
शकर - साखर
नाजुक


   




फारसी शब्द.

इमाम 
अ च्या खाली झर काढल्याने त्याचा इ झाला.
म + अ = मा 
म 




 
मरद

म च्या डोक्यावर झबर काढून म चा उच्चार जोर देऊन.
र  वर जझ्म चा उलटा चंद्र काढतात
द 
मरद


जमीन 


म पुढे खाली दोन ठिपके वेलांटी दाखवतात
विळ्यात वर ठिपका न



बिरादर 
ब खाली झर बी
रा





मादर









पिदर 







Saturday 19 February 2011

शॉर्टकट

ب ت ث پ  بتثپ 
या  ठिकाणी  प स त ब  हि अक्षरें लिहिली आहेत  उजवी कडून वाचल्यास ब त स प  आणि बतसप
सुट्टी अक्षरे ओळखणे सोपे आहे, शब्दात मात्र उरले केवळ ठिपके.


खाली एक ठिपका म्हणजे ब ب
खाली तीन  ठिपके  म्हणजे प پ
वर  दोन  ठिपके  म्हणजे त  ت 
वर  तीन  ठिपके  म्हणजे स ث


د ذ ر ز ژ
या अक्षरात काहीच बदल होत नाहीत, उजवी कडून वाचल्यास द ज  र झ झ्य .


 ن
न हे अक्षर शब्दात वर एक ठिपका होते


س ش سش
स श वरच्या तीन ठिपक्यांनी वेगळी होतात


ض ص صض
या अक्षरात काहीच बदल होत नाहीत,
ط ظ
या अक्षरात काहीच बदल होत नाहीत,
ع غ عغ عغعغ غعغع
य/अ   आणि ग -ही अक्षरे सुरुवातीस आणि शेवटी विळ्या सारखी होतात, मध्ये भरीव गाठ होतात


ف ق فق 
क फ -ही अक्षरे पोकळ गाठीने ओळखता येतात.


گ ک
क ग -ही अक्षरे फारशी बदलत नाहीत.


ح خ ج چ حخجچ چجخح 
च ख ज ह -ही अक्षरे बाणाचे टोक आणि ठिपक्याच्या जागेने संख्येने ओळखता येतात.



सोपे शब्द

फार्सी वाचताना   उजवीकडून सुरुवात करा.


बाबा              بابا   

( पिता )                            ب ا ب ا
                                    अ ब अ ब 
                   ب+ا = با 






लाला              لالا    
                                    ل ا ل ا  
                                    अ ल अ ल  
                   ل + ا = لا 




मासा               ماسا     
                                    م ا س ا   
                                    अ स अ म   
                   م + ا = ما  
                   س + ا = سا 





खाला              خالا     
(मावशी)                              خ ا ل ا   
                                    अ ल अ ख   
                   خ + ا = خا 



फार्सी अक्षरे

फार्सी लिहिताना अक्षरे जोडली जातात. शब्द संपल्यानंतर मोकळी जागा सोडली जाते त्यामुळे अक्षर लिहिताना त्यात स्थानपरत्वे थोडा बदल होत जातो. सुरुवातीला,मध्ये ,शेवटी असे तीन प्रकार पडतात.

फारसी
स+इ+ब= सीब
गो स+फ़+न+द = गोसफंद (मेंढी)

गाव(बैल)

अ स+ब= अस्ब (घोडा)
शुतुर
















Friday 18 February 2011

फार्सी स्वरचिह्ने

देवनागरीप्रमाणेच फारसीत अक्षरांना स्वर जोडून नवे उच्चार मिळवले जातात.
कस्र किंवा झेर ए / ई  या साठी वापरतात.
फताः किंवा झबर आ / ऐ या साठी वापरतात












झम किंवा पेश    ओ / उ / ऊ या साठी वापरतात
.

.

फारसीत आकार उकार इकार यांच्या जागा देवनागरीच्या पेक्षा उलट्या आहेत, म्हणजे आकार डोक्यावर, उकार डोक्यावर आणि इकार पायातळी लिहिला जातो.

फार्सी अक्षरे आणि उच्चार भाग दुसरा


  • देवनागरी लीपीच्या उलट्या दिशेने फार्सी  लिहिली वाचली जाते. म्हणजे डावीकडून उजवीकडे आपण मराठी वाचतो पण फार्सी उजवीकडून डावीकडे लिहिली वाचली जाते. गेल्या हजारो वर्षाच्या सहवासानें मराठीत फार्सी शब्दांची रेलचेल आहे. हीच गोष्ट आपल्याला फार्सी वाचताना फार उपयोगाची पडणार आहे.
  • मात्र देवनागरीत जसे काही अक्षरांचे आकार मिळतेजुळते आहेत तसेच फार्सीतही आहेत.


केवळ आकाराप्रमाणे वर्गीकरण
  • क फ 
  • व ब 
  • ग म भ न
  • प ष ण
  • ख य 
  • र स श 
  • ट ठ ढ
  • घ ध
  • ङ ड इ ई ह







सुरुवातीला आपल्यालाही गोंधळात पडायला होईल पण बारकाईने लक्ष दिल्यास वाचणे सोपे होते.
यातही अक्षरे शब्दाच्या सुरुवातीस वेगळी, मध्ये वेगळी, शेवटी वेगळी आहेत.
माझ्या निरीक्षणानुसार लिहिण्या आधी वाचण्याची तयारी करावी. जी सोपी आहे. गिरवून अक्षरे घटवून घेण्यापेक्षा साम्य शोधून वाचणे सोपे पडते.

फार्सी भाषा - अक्षरे आणि उच्चार

पार्स, फ़ारस या नावाची जमात इ.पू. ५५० ते ३३० या काळात भारताच्या पश्चिम दिशेच्या आजच्या इराण पेक्षा मोठ्या प्रदेशावर राज्य करीत होती. त्यांची भाषा पर्शीयन किंवा फ़ारसी. ही भाषा सुरुवातीला तत्कालीन क्यूनिफ़ॊर्म लिपीत लिहिली जाई. दरियस राजाने पर्सेपोलीसच्या राजवाड्यावर कोरलेला लेख (इ.पू.५५९)
राजांचा राजा वगैरे वगैरे..






मजेशीर भाग म्हणजे जर याचे आंग्ल वाचन पाहिले तर

da-a-ra-ya-va-u-ša \ xa-ša-a-ya-tha-i-ya \
va-za-ra-ka \ xa-ša-a-ya-tha-i-ya \ xa-ša-a-
ya-tha-i-ya-a-na-a-ma \ xa-ša-a-ya-tha-i-ya \
da-ha-ya-u-na-a-ma \ vi-i-ša-ta-a-sa-pa-ha-ya-
a \ pa-u-ça \ ha-xa-a-ma-na-i-ša-i-ya \ ha-
ya \ i-ma-ma \ ta-ça-ra-ma \ a-ku-u-na-u-ša

Dârayavauš xšâyathiya                               दारयवौष क्षायथिय
vazraka xšâyathiya xšâ-                              वज्रक क्षायथिय क्षा-
yâthiânâm xšâyathiya                                  यथियानाम  क्षायथिय
dahyunâm Vištâspahy-                                दह्युनाम  विष्तास्पह्य
a puça Haxâmanišiya                                   पुश हक्ष्मनिषिय
hya imam taçaram akunauš                         ह्य इमम तशराम अकौनष

Darius, the king great, king of kings, king of countries, Hystaspes' son, an Achaemenid, who built this palace.



या भाषेचे संस्कृतशी साम्य जवळ जवळ बहिणीएवढे आहे. अखमेनियन हिला आर्यन भाषा अरिया या भागाच्या नावावरून म्हणत. 
पूर्वेला अवेस्तन भाषा विकसित झाली. झरथ्रुष्ट या संस्थापकांनी धर्म तत्वे याच भाषेत  सांगीतली. अलेक्झांडर आणि अरबी आक्रमणातून वाचलेली तत्वे ७ व्या शतकात अवेस्तन लिपीत लिहीली गेली.
अवेस्तन
ही लिपी उजवीकडून डावीकडे जाणारी, थोडे अपवाद वगळता देवनागरीतील सर्व अक्षरे असणारी आहे. धातू आत्मनेपदी परस्मैपदी आहेत. द्विवचन आहे. 




अरब हल्ल्यानंतर ईस्लाम सोबत अरबी लिपी काही अक्षरांची भर घालून फार्सी ने स्विकारली. 

ا      अलीफ  "अ"
ب    बे          "ब"
پ    पे          "प"
ت    ते          "त"
ث    से         "स्स" जिभेचे टोक पुढच्या वरच्या दातांना  लावून स म्हटल्यावर हा उच्चार होतो
ج     जिम    "ज" जेवण मधला ज 
چ     चे        "च" चिवडा मधला च 
ح     हे         "ह" हा मधला ह
خ     खे        "ख" खाण्यातला ख 
د      दॉल      "द"
ذ      झॉल     "झ"
ر     रे           "र"
ز     झ्ये        "झ्य" झक्कास मधला झ 
ژ     ज्ज        "ज"   दातांवर दात दाबून ज्य सारखा
س    सीन       "स" 
ش    शीन       "श"
ص   स्वाद      "स"
ض   झ्वाद     "झ"
ط     टो           "ट"
ظ     झो          "झ"
ع     ऐन         "आ"
غ     गैन         "घ"
ف    फे           "फ"
ق     काफ       "क"  हक मधला क 
ک    काफ       "क"
گ    गाफ       "ग"
ل     लाम       "ल" 
م      मीम       "म"
ن     नून        "न"
و     वाव        "व"
ی     ये          "य"
ه      हे           "ह"